महंगाई का असल परिचय हम जानना चाहते हैं तो उन गरीब तग्बे के लोगो से पूछों .......... जो दिन - रात मेहनत तो करते हैं पर फिर भी दो वक़्त की रोती जुटा पाने के लिए बेबस हैं ! अगर जानना ही है तो उस रिक्शे वाले से पुछो........जो इन्सान को उसकी मजिल तक पहुंचा देने के बाद भी सिर्फ अपनी मेहनत का पैसा पाने के लिए उसके सामने गिड़गिडाता नज़र आता है ! क्या उसी वक़्त हमे महंगाई याद आती है जब हम किसी गरीब का हक छीन रहे होते हैं ! तब तो हम उस गरीब रिक्शे वाले की तुलना मै सच मै गरीब हैं और हमे ये बढती महंगाई सच मै परेशान कर रही है !
महंगाई भी अगर बढती है तो हमारे जीवन मै झांक कर ही बढती है क्युकी महंगाई बड़ाने वाले भी हमारी गतिविधियों पर नज़र गडाए रहते हैं की अगर हर सुविधा हर घर मै आसानी से परवेश कर रही है तो फिर थोडा सा और बड़ा देंगे तो क्या फर्क पड़ जायेगा ! तो फिर वो हमारे कदम से कदम मिलाती रहती है और हम थोड़े वक़्त तो जोर शोर से शोर करते हैं फिर अपनी निजी जिंदगी मै मस्त हो जाते हैं ! अगर इस बड़ती महगाई का असल जिंदगी मै सच मै फर्क पड़ रहा है तो वो है हमारे देश की गरीब जनता जो इसकी मार से इस कदर पिस रही है की तन ढकने के लिए कपडा तो क्या दो वक़्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल सा हो रहा है ! उनके पास तो उस वास्तविक दर्द को झलने और चुप रहने के सिवा अपनी बात को कह पाने का कोई माध्यम भी नहीं है ! जब पेट भरने को अनाज ही नहीं होगा तो जुबान मै अपनी बात कह पाने की ताकत भी कहाँ से आएगी जो वो इस दर्द.......... की उन तक आसानी से पहुंचा पाए जो की इस महंगाई को बडाते रहने के असल मै हकदार हैं ! कहते भी हैं न ......................
इन्सान भी उसी इन्सान से डरता है !
जिसके पास अपनी बात कहने की ताक़त होती है !
महंगाई ही हमारे देश मै होने वाले एक बहुत बड़े तालमेल मै फर्क कर रही है ! जिससे आमिर लोग इतने आमिर हो गये हैं की उनके पास इतना पैसा है की उन्हें इस बात का पता नहीं है और गरीब जनता इतनी गरीब होती जा रही है की उसके पास दो वक़्त की रोटी भी उपलब्ध नहीं हो पा रही ! एक तरफ देश उन ऊँचाइयों को छु रही है जहां पहुचना बहुत गोंरव की बात है और दूसरी तरफ गरीब जनता कब भूख से अपनी जान दे रही है ! इअसका किसी को लेश मात्र भी इलाम नहीं क्या ये हमारे देश के लिए श्रम की बात नहीं है ! काश हम इस तालमेल को किसी तरह ठीक कर पाते और अपने देश की भूखी जनता को उपर उठा कर एक समृद्शील देश का निर्माण कर पाते ! हम मिलकर अपने देश के हर नागरिक के अन्दर एक जोश को भर कर बेकारी , भ्रष्टाचारी व् बेरोजगारी जेसे शब्दों का ही अंत कर पाते , और ये सब करना मुश्किल हो सकता है पर असंभव कभी नहीं !
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