‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन

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अन्ना हजारे जो 5 अप्रैल से जंतर - मंतर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कानून  यानि ' जन लोकपाल बिल ' लागु करने की मांग के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं |
पिछली बार जब वो अनशन पर बैठे थे तब _________
1 महाराष्ट्र सरकार के छ: भ्रष्ट मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा |
2 400 भ्रष्ट अफसरों को नौकरी से निकलना पड़ा |
3 महाराष्ट्र में 2002 में सुचना का अधिकार अधिकार कानून लागु करना पड़ा |
4 2006 में केंद्र सरकार द्वारा सुचना का अधिकार कानून में संशोधन का प्रस्ताव वापस लेना पड़ा |
इस बार अन्ना जन लोकपाल बिल की मांग नहीं बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य के लिए बैठे हैं |
                           जन लोकपाल बिल क्या है ?
        जस्टिस हेगड़े प्रशांत  भूषण और अरविन्द केजरीवाल द्वारा बनाया गया यह विधेयक लोगों के द्वारा बेब साइट पर दी गई प्रतिक्रिया और जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है | इस बिल को शांति भूषण , जे . एम . लिंगदोह , किरण बेदी , अन्ना हजारे आदि का भारी  समर्थन प्राप्त है | इस बिल की प्रति प्रधान - मंत्री एवं सभी राज्यों के  मुख्यमंत्रियों को 1 दिसम्बर को भेजा गया था |
1   ---इस कानून के अंतर्गत , केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा |
2 ----ये संस्था निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार  से स्वतंत्र होगी | कोई भी नेता या सरकारी अधिकारी या जांच की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर पायेगा |
3 -----भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कई सालों तक मुकदमें लंबित नहीं रहेंगे | किसी भी मुकदमें की जांच या साल के भीतर पूरी होगी | ट्रायल एक साल में पूरा होगा और भ्रष्ट नेता , अधिकारी या जज को दो साल के भीतर जेल भेजा जाएगा | 
4-----अपराध सिद्ध होने पर भ्रष्टाचारियों के द्वारा सरकार को हुए घाटे को वसूल किया जाएगा |
5 ----- ये आम नागरिक की कैसी मदद करेगा ::: यदि किसी नागरिक का काम तय समय सीमा में नहीं होता , तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्मना लगाएगा और वह जुर्मा शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर में मिलेगा |
6 -----अगर आपका राशन कार्ड , मतदान पहचानपत्र , पासपोर्ट आदि तय सीमा के भीतर नहीं बनता है या पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं करती तो आप इसकी शिकायत लोकपाल से कर सकतें हैं और उसे ये काम एक महीने के भीतर करना होगा | आप किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की शिकायत लोकपाल से कर सकते हैं जैसे सरकारी राशन की कालाबाजारी , सड़क बनाने में गुणवता की अनदेखी , पंचायत निधि का दुरूपयोग | लोकपाल को उसकी जांच एक साल के भीतर पूरी करनी  होगी  | 
7 ----- क्या सरकार भ्रष्ट  और कमजोर लोगों को लोकपाल का सदस्य नहीं बनाना चाहेगी ? ये मुमकिन नहीं क्युकी लोकपाल के सदस्यों का चयन जजों नागरिकों और संवेधानिक संस्थानों द्वारा किया जाएगा न की नेताओं द्वारा | इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से और जनता की भागीदारी से होगी |
8 ------अगर लोकपाल में काम करने वाले भ्रष्ट पाए गये तो ? लोकपाल \ लोकायुक्तों का कामकाज पूरी तरह पारदर्शी होगा | लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जाँच अधिकतम दो महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा | 
9 ----- मौजूदा भ्रष्टाचार निरोधक संस्थओं का क्या होगा ? सीवीसी , विजिलेंस विभाग , सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक विभाग  ( Anti Corruption Deptt ) का लोकपाल को किसी जज , नेता या अफसर के खिलाफ जाँच करने व् मुकदमा चलाने के लिए पूर्ण शक्ति और व्यवस्था भी होगी |
     
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रंगों की मस्ती

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हर तरफ ये कैसी मस्ती छाई है |
सबके चेहरे में प्यारी सी रंगत आई है |
सारी सृष्टि  रंगीन होती नज़र आई  है |
अरे  ये सब तो होली ही लेकर आई है |

मन तो मेरा भी इस कदर बेताब है |
कुछ को रंगने , कुछ से रंगने को बेकरार  है |
न जाने अब कितना और इंतजार है |
लगता है मेरी तरह हर दिल बेकरार है |
चलो अब टोली में हम भी रम जाएँ |
थोडा इसे और थोडा उसे भी रंग आयें |
न जाने फिर ये पल लौट  के कब आयें |
अपने अरमान आज ही पूरा कर आयें |

क्यु न कृष्ण की राधा हम ही  बन जाएँ |
राधा बन - बन के कृष्ण को हम तडपायें |
वो तो हर बार नए - नए रूप से रिझाता है |
आज हम भी उसी रूप में क्यु न ढल जाएँ |

बच्चों के जैसे आज हम क्यु न हो जाएँ |
सबकुछ भुला के उस में ही हम क्यु न खो जाएँ |
सारी दुनिया से कुछ पल को बेखबर हम हो जाएँ |
रंगों की प्यारी सी दुनियां में इस कदर हम खो जाएँ |

सबसे प्यार से मिले , सबको प्यार ही हम दें |
बच्चो को प्यार , बड़ों का आशीर्वाद भी लें |
इन  रंगों को अपनी यादों में एसे बसा हम लें |
इन्हीं रंगों से अपना जीवन भी रंगीन बना लें |

आप सभी को होली की बहुत - बहुत शुभकामनायें |
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संसार

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ये अपने विचारों का द्वन्द है , 
जीने दो उसको जो स्वछन्द है |
निराधार है सारी बातें ,
जिसमें  कोई सार  नहीं |
नाम के हैं सारे रिश्ते ,
जिसमें प्यार नहीं , सत्कार नहीं |
क्या बतलाएं उन जख्मों को ,
जिनके भरने की तो बात  नहीं |
हाहाकार है सारी दुनियां में ,
यहाँ जीने के आसार नहीं |
इस रंग बदलती दुनिया में ,
कौन  एसा है जो बेकार नहीं |
हाय - हाय का शोर है हरतरफ ,
कोई कोना भी आबाद नहीं |
बात कहने से बात बिगडती है ,
बातों में अब शिष्टाचार नहीं ,
कसम  खा लेने  भर से ...
मिट सकता भ्रष्टाचार नहीं |
हर तरफ नफरत की आग लगी है ,
जिसका कोई पारावार नहीं |
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परिचय

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ये जो आस्मां में 
बादलों के साये हैं |
धरा से अस्मां में
किस कदर ये छाए हैं |
कितने  हक से
दोनों जहाँ में रहते हैं |
बरसते तो हैं  ये  
उमड़ - घुमड़  झूम के ,
पर फिर उनके ही 
दामन से लिपट जाते हैं |
कैसा  रिश्ता है आपस में
दोनों का इस कदर की ,
बिछुड़ने पर भी हर बार
मिलने को ये तरसते हैं |
गरजते  हैं बरसते हैं |
न जाने एक दूजे से
क्या ये कहते हैं |
फिर भी एक ही  आशियाँ 
में जाके  ये रहते हैं |
धरा  की प्यास ये  
बुझाते  हैं |
प्रकृति को हरा - भरा
भी बनाते है |
सारी सृष्टि को नया जीवन
दे कर... निस्वार्थ भाव...
अपना परिचय बतलाते हैं |
कई - कई बार इस कदर
ये खुद को मिटाते हैं
पर फिर से उसी आस्तिव
को पाने  उसी रूप में
 आ जाते हैं |

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अंदाज़ अपना - अपना

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क्यु हरदम टूट जाने की बात करती हो |
नारी हो इसलिए बेचारगी की बात करती हो |
क्या नारी का अपना कोई आस्तिव नहीं ?
एसा कह कर खुद को नीचे गिराने की बात करती हो |
खुद को खुद ही कमजोर बना , ओरों पर क्यु 
इल्ज़ाम  लगाने जैसी बात कहती हो ?
खुद को परखने की हिम्मत तो करो |
कोंन कहता ही की तुम ओरों से कम हो ?
एसे तो खुद ही खुद को कमजोर 
बनाने की बात कहती हो |
नारी की हिम्मत तो कभी कमजोर थी ही नहीं |
ये तो  इतिहास के पन्नों में सीता , अहिल्ल्या 
सती सावित्री  की  जुबानी में  भी  है |
फिर क्यु घबरा कर कदम रोक लेती हो ?
अपनी हिम्मत को ओरों से कम क्यु 
समझती हो |
अपना सम्मान चाहती हो तो पीछे हरगिज़ 
न तू हटना |
पर किसी को दबाकर उपर उठाना एसा भी 
तू हरगिज  न करना |
इस सारी सृष्टि में सबका अपना बराबर 
का हक है |
खुद के हक को पाने के लिए किसी को भी 
तिरस्कृत तू हरगिज़ न करना |
ये नारी तू प्यार की देवी है |
इस नाम को भी कलंकित तू 
कभी न करना |
प्यार से अपने हिस्से की गुहार
तू हर दम करना |
अपने साथ जोड़ना ... किसी को 
तोड़कर आगे कभी मत बढ़ना |
साथ लेकर चलने का नाम ही समर्पण है |
नारी के इसी प्यार पर टिका सृष्टि 
का ये नियम भी है |
इसको बचा कर रखना इसमें तेरा , 
मेरा और सबका  हित भी है |
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