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भारतीय रेलवे निर्माण परियोजनाओं में साझा उत्तरदायित्व, कॉन्ट्रैक्ट क्लॉजेस एवं विधिक जवाबदेही: एक गहन विश्लेषण

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भारतीय रेलवे विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसमें प्रतिवर्ष हजारों किलोमीटर नई लाइन, डबल/थर्ड लाइन, विद्युतीकरण, एलिवेटेड कॉरिडोर, मेट्रो कनेक्टिविटी और ब्रिज/टनल जैसी भारी निर्माण परियोजनाएँ संचालित होती हैं। इन परियोजनाओं की जटिलता केवल इंजीनियरिंग दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक अनुमति, भूमि-अधिग्रहण, वन एवं पर्यावरण स्वीकृति, सुरक्षा मानकों, अनुबंध प्रबंधन, समयबद्ध क्रियान्वयन तथा वित्तीय उत्तरदायित्व जैसी बहुस्तरीय चुनौतियों से भी प्रभावित होती है।

ऐसे में “कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट” रेलवे के निर्माण कार्यों का केंद्रबिंदु बन जाता है, जहाँ रेलवे प्रशासन और कांट्रेक्टर दोनों की साझा जवाबदेही (Shared Liability) स्पष्ट रूप से अनुबंध की धाराओं, कानूनों और न्यायिक व्याख्याओं से तय होती है।

इस शोधात्मक लेख में:
• रेलवे EPC/Item-rate/Turnkey Contracts की कानूनी संरचना
• GCC (General Conditions of Contract) की महत्वपूर्ण धाराएँ
• Delay, Extension of Time(EoT), Liquidated Damages(LD)
• Safety, Forest/Utility Clearance जैसी वास्तविक बाधाएँ
• Arbitration एवं Dispute Redressal की न्यायिक स्थिति का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।


1. भारतीय रेलवे निर्माण अनुबंधों के प्रमुख स्वरूप

भारतीय रेलवे मुख्यतः तीन प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट लागू करती है:

प्रकार                      विशेषताएँ       जोखिम-वितरण
Item-rate Contract                   BOQ आधारित Payment       अधिकांश जोखिम रेलवे
EPC Contract                   Design + Construction       Shared Risk, Performance आधारित
Turnkey Contract                   End-to-end Responsibility       Contractor पर अधिक Risk

EPC मॉडल में “Time is the essence of Contract” सिद्धांत अधिक सख्ती से लागू होता है, जबकि Item-rate में Design/Drawings हथियार के रूप में रेलवे के पास अधिक नियंत्रण रहता है।


2. उत्तरदायित्व निर्धारण: संविदा की दृष्टि से

Railway GCC (अंतिम संशोधित संस्करण) की कुछ महत्वपूर्ण धाराएँ दायित्व निर्धारण में मुख्य भूमिका निभाती हैं:

GCC Provisionमुख्य विषय  प्रभाव
GCC Clause 17Safety Obligations  Contractor पूर्ण रूप से उत्तरदायी
GCC Clause 42Extension of Time  Delay Responsibility का परीक्षण
GCC Clause 61Termination & Risk and Cost  प्रगति-अपर्याप्तता पर कार्रवाई
GCC Clause 62Liquidated Damages  समय-सीमा उल्लंघन पर दंड
GCC Clause 64Arbitration  विवाद समाधान की प्रक्रिया

इन धाराओं के आधार पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि Railway और Contractor दोनों अपने-अपने क्षेत्र में आवश्यक कार्य करें, अन्यथा कानूनी परिणाम झेलने पड़ें।


3. परियोजनाओं में Delay: जिम्मेदारी किसकी?

भारतीय रेलवे परियोजनाओं में Delay सबसे विवादास्पद मुद्दा होता है। Delay दो प्रकार का माना जाता है:

Delay का प्रकारदायित्व
Excusable Delay (Non-Contractor Delay)EoT दिया जाता है, LD नहीं लगेगा
Non-Excusable Delay (Contractor Fault)LD, Termination संभव

Excusable Delays के सामान्य कारण
• भूमि/वन स्वीकृति में विलंब
• देरी से Drawings जारी होना
• वज्रपात, बाढ़, महामारी आदि Force Majeure
• सुरक्षा विभाग से Late Block/Power Block

Contractor Fault Based Delay
• अपर्याप्त संसाधन/कर्मचारी
• Poor planning
• Productivity कम रहना
• Substandard Work

न्यायालय में यह सिद्ध करना पड़ता है कि Delay किस कारण हुआ और क्या Contractor ने Railway को समय पर सूचित किया या नहीं।


4. Liquidated Damages (LD) का प्रावधान:

LD का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि Railway को हुए वास्तविक नुकसान की पूर्ति है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है:

LD तभी वैध होगा जब Railway यह दिखाए कि Delay से उसे वाकई नुकसान हुआ और LD का अनुमान उचित है।

LD हमेशा स्वतः लागू नहीं, बल्कि दायित्व निर्धारण के बाद ही।


5. Extension of Time (EoT) की कानूनी स्थिति:

Railway Contractor को EoT तभी दिया जाता है जब:

✅ Delay Railway/Government प्रक्रियाओं से हुआ
✅ Contractor ने समय पर Written Notice दिया
✅ Progress Review में उचित कारण सिद्ध
✅ Revised Schedule प्रस्तुत किया

यदि Contractor समय पर Notice नहीं देता तो वैध Delay भी उसके खाते में डाल दिया जाता है। यह एक प्रायोगिक जटिलता है जहाँ Contractor प्रायः कमजोर पड़ता है।


6. Safety Obligations और Criminal Liability का प्रश्न:

रेलवे निर्माण में Safety सर्वोच्च है।
यदि दुर्घटना हो:

• Contractor Civil + Criminal liability से मुक्त नहीं
• RPF/GRP भी Inquiry कर सकती है
• रेलवे अधिकारी भी यदि लापरवाह हों तो दायित्व साझा होता है

यह Shared Accountability की मजबूत मिसाल है।


7. Forest, Mining, Utility Clearance: Shared Responsibility

Railway को Permissions प्राप्त करना होता है:

• वन विभाग
• विद्युत, जल, सड़क विभाग
• Revenue Department ( भूमि )

यदि Railway Clearance नहीं दे पाती तो EoT मिलता है।
Contractor इन बाधाओं से सीधे उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता, बशर्ते रिपोर्टिंग समय पर की गई हो।


8. Dispute Resolution & Arbitration:

Railway कॉन्ट्रैक्ट्स में विवाद अत्यधिक होते हैं।
इस संदर्भ में विभिन्न न्यायालयों ने निम्न सिद्धांत स्थापित किए हैं:

Principle    Summary
Arbitrator Technical Background वाला होना चाहिए    Infra disputes समझने हेतु
Delay Attribution निष्पक्ष होना चाहिए    कार्यवाही का पूरा मूल्यांकन
LD बिना कारण बताए लागू नहीं हो सकती    Reasoned Order अनिवार्य

Court का प्रमुख दृष्टिकोण
“Evaluation of Responsibility must be fact-based and supported by evidence.”
इसलिए Proper Documentation निर्णायक होता है।


9. Project Monitoring: व्यावहारिक समस्याएँ

समस्या     जिम्मेदारी         समाधान
Blocks न मिलना     Railway         Integrated Planning आवश्यक
Material Shortage     Contractor         Supply Assurance
Administrative Bottlenecks     Railway         Timely Approvals
Law & Order Issues     Shared         Joint Coordination
Change of Scope     Railway         Supplementary Agreement

Successful Implementation हमेशा Collaboration पर निर्भर करता है, न कि केवल Contract Wording पर।


10. Shared Responsibility: एक न्यायिक निष्कर्ष

Infrastructure Contract Jurisprudence कहता है:

Neither Railway nor Contractor can escape liability without evidence.
दायित्व एकतरफा तय नहीं किया जा सकता।


निष्कर्ष (Conclusion):

भारतीय रेलवे निर्माण परियोजनाएँ बहुआयामी प्रोजेक्ट-इकोसिस्टम का उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जहाँ तकनीकी, प्रशासनिक और विधिक चुनौतियाँ समानांतर रूप से उपस्थित रहती हैं। इन अनुबंधों में Shared Responsibility और Risk Sharing दोनों का संतुलन अत्यंत आवश्यक है।

संक्षिप्त निष्कर्ष:

• Railway और Contractor दोनों को अनुबंध की धाराओं का ईमानदार अनुपालन करना होगा।
• Delay Attribution हमेशा Documentary Evidence पर आधारित होना चाहिए।
• LD हो या Termination, Reasoned Order आवश्यक है।
• Arbitration को Technical-Expert Driven Model की आवश्यकता है।
• Safety और Legal Compliance में Zero Tolerance अपनाना होगा।
• Railway को Clearances और Design जारी करने में पारदर्शिता एवं गति लानी होगी।
• Contractor को Resource mobilization और Progress Monitoring में सुधार करना होगा।

जहाँ कानून स्पष्ट है, वहीं अनुबंध का अनुशासन और टीमवर्क परियोजना की सफलता की वास्तविक कुंजी है।

लेखक

✍️ अधिवक्ता कृष्णा बारस्कर
(विधिक विश्लेषक एवं स्तंभकार)
 
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